ISRO: मिशन गगनयान में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए इसरो खुद बनाएगा ईसीएलएसएस; एस. सोमनाथ ने लिया निर्णय

सोमनाथ ने गोवा में मनोहर पर्रिंकर विज्ञान महोत्सव 2023 में कहा, हमें ईसीएलएसएस विकसित करने का अनुभव नहीं है। अब तक हम केवल रॉकेट और उपग्रह बनाते आए हैं। उम्मीद थी कि विदेशों से इसका ज्ञान मिल जाएगा। दुर्भाग्य से काफी बातचीत के बाद कोई यह तकनीक नहीं दे रहा है। राज्य के विज्ञान, पर्यावरण व तकनीकी विभाग के इस पांचवें आयोजन में सोमनाथ ने खुलासा किया कि इसी वजह से इसरो ने भारत में मौजूद ज्ञान और उद्योगों के जरिये यह प्रणाली विकसित करने का निर्णय लिया है।
गगनयान मिशन की चुनौतियों पर कहा कि भारत कई वर्षों से इसके लिए डिजाइन क्षमता के विकास में जुटा है। यह मिशन भारत की क्षमताओं का चरम शिखर होगा। हम मानव को अंतरिक्ष में भेज रहे हैं, इसके लिए हमारे पास मौजूदा से कहीं अधिक कौशल और आत्मविश्वास होना चाहिए।
समाधान…रॉकेट में इंटेलिजेंस
इसरो प्रमुख ने कहा, जोखिम का समाधान रॉकेट में इंटेलिजेंस बढ़ाकर किया जा रहा है। नई पीढ़ी के लोग जानते हैं कि मशीनों में सेंसर, डाटा प्रोसेसिंग, एआई के जरिये इंटेलिजेंस विकसित की जा सकती है। इससे कई तरह के संकेत मिलते हैं जो बताते हैं कि रॉकेट सुरक्षित उड़ेगा या विफल होगा।
निर्णय लेने के लिए होते हैं चंद सेकंड
सोमनाथ ने कहा कि जब रॉकेट विफल होने जा रहा होता है, तो उसके कुछ सेकंड पहले वैज्ञानिकों को निर्णय लेने होते हैं। यानी रॉकेट के विफल होने से पहले उन्हें पता होना चाहिए कि वह विफल होगा, तभी मिशन को अबॉर्ट किया जा सकता है। इंटेलिजेंस युक्त रॉकेट में यह निर्णय विभिन्न तरह के डाटा को देखकर लेने होते हैं।