Dehradun: गली-मोहल्लों तक ऑटो-विक्रम पहुंचाएगा परिवहन विभाग, ग्राहक एप से करा सकेंगे बुकिंग

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संभागीय बैठक में जो योजना प्रस्तावों का अमली जामा पहनेगी वैसी ही एक पुरानी योजना अब तक अमल में नहीं आई। उस योजना के अंतर्गत बसों व दूसरी गाड़ियों के स्टॉपेज की जियो टैगिंग करके यात्रियों को एप आधारित सुविधा देनी थी।

उत्तराखंड परिवहन विभाग गली-मोहल्लों तक ऑटो-विक्रम पहुंचाने की योजना बना रहा है। इसके लिए गढ़वाल आयुक्त 23 दिसंबर को आरटीए (देहरादून संभाग) की बैठक लेंगे। इसमें वह परिवहन सेवाओं को सुदृढ़ करने के नए प्रस्तावों पर भी सुनवाई करेंगे। बता दें कि विभाग की पुरानी तमाम योजनाएं धरातल पर अब तक नहीं उतरी हैं।

संभागीय बैठक में जो योजना प्रस्तावों का अमली जामा पहनेगी वैसी ही एक पुरानी योजना अब तक अमल में नहीं आई। उस योजना के अंतर्गत बसों व दूसरी गाड़ियों के स्टॉपेज की जियो टैगिंग करके यात्रियों को एप आधारित सुविधा देनी थी। मालूम हो कि स्टॉपेज की जियो टैगिंग अभी तक नहीं हो पाई है। इसके बावजूद अब योजना है ऑटो, ई-रिक्शा, विक्रम की बुकिंग एप के जरिये हो सकेगी। एप से लोग अपने दरवाजे पर ऑटो-विक्रम बुला सकेंगे।

परिवहन विभाग इस बार की बैठक में नए प्रस्ताव लेकर आ रहा है, जिसमें एप के जरिये ऑटो-रिक्शा, विक्रम की बुकिंग शामिल है। विभाग ने बैठक से पहले आम लोगों और संगठनों से व्यवस्था दुरुस्त कराने के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। बता दें कि पिछली संभागीय बैठकों में ऐसे कई प्रस्ताव पारित हुए, जिन पर अमल नहीं हो सका है। ऐसे में मंजूर पुराने प्रस्ताव धरातल पर कैसे उतरेंगे, इसका जवाब परिवहन विभाग को 23 दिसंबर को आरटीए की बैठक में देना होगा। आटो-विक्रम से लेकर सिटी बस यूनियनों की भी विभाग से उम्मीदें हैं जिन्हें पूरा करना होगा।

1. विक्रमों में लगवाएं सीएनजी किट
विक्रमों को शहर से बाहर करने की पैरवी लगातार परिवहन विभाग कर रहा है। यह मामला हाईकोर्ट में है। विक्रम जनकल्याण सेवा समिति के सचिव संजय अरोरा कहते हैं कि परिवहन विभाग विक्रमों को स्टेज कैरिज नीति के तहत संचालन की अनुमति प्रदान करे। वर्ष 2010-11 में बनाए गए 18 रूटों पर विक्रमों का संचालन कराएं। विक्रमों को हटाकर पेट्रोल वाले मैजिक चलवाए जा रहे हैं। इसके स्थान पर विक्रमों में सीएनजी किट लगवाएं।2. बनवाएं ऑटो स्टैंड, पुलिस कर रही चालान
दून ऑटो-रिक्शा यूनियन के अध्यक्ष पंकज अरोरा कहते हैं कि जौलीग्रांट हवाई पट्टी के बाहर तक ऑटो संचालकों को परमिट दी जाए। अभी ऑटो हिमालयन अस्पताल तक जाते हैं। इस रूट पर ऑटो की जरूरत महसूस की जा रही है। इनका कहना है कि ऑटो पार्किंग के लिए शहर में 23 स्टैंड बनाए गए थे जिनकी अवधि पूरी हो गई। अब किसी भी स्टैंड पर ऑटो खड़ा करने पर पुलिस चालान कर देती है इसलिए शहर में ऑटो स्टैंड बनवाए जाएं।3. शहर में सिटी बसें, बाहर छोटी गाड़ियां चलें
शहर में यातायात का दबाव कम करने के लिए 22-24 सीटर सिटी बसों के संचालन को बढ़ावा दें। परिवहन विभाग ने विक्रमों को हटाकर मैजिक लगा रहा है। इससे कोई लाभ नहीं हुआ। विक्रम तो हटे नहीं, मैजिकों का लोड अलग से बढ़ गया। इससे शहर में यातायात का दबाव बढ़ गया है। सिटी बस संचालक विजयवर्धन डंडरियाल कहते हैं कि छोटी गाड़ियों को शहर से बाहर चलाएं और बसें शहर के अंदर चलें। एक बस में कई मैजिक के बराबर सवारियां आती हैं। सीएनजी सिटी बसों को संचालित कराया जाए। सिटी बसों के स्टॉपेज बढ़ाए जाएं। स्टॉपेज नहीं होने से पुलिस चालान करती है।

पुराने पड़े प्रस्तावों पर एक नजर

  • सुरक्षा के दृष्टिगत बसों में स्टीकर लगाने का काम।
  • पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए कॉरिडोर व्यवस्था का पालन।
  • प्रत्येक कॉरिडोर में चार स्टैंड बनाकर प्रत्येक स्टैंड से ऑटो संचालन का निर्धारण।
  •  सभी स्टॉपेज की जियो टैगिंग, यात्रियों को एप आधारित सुविधा।
आरटीए में पास हुए प्रस्तावों पर अमल कराया जा रहा है। इस बार परिवहन विभाग नए प्रस्ताव लेकर आ रहा है। गली-गली को परिवहन व्यवस्था से जोड़ने की कोशिश है। इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
– सुनील शर्मा, आरटीओ, प्रशासन, देहरादून।
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