उत्तरकाशी शहर में मस्जिद विवाद ने एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) से दी गई जानकारी से तूल पकड़ा। बीते अगस्त माह में एक धार्मिक संगठन से जुड़े व्यक्ति ने प्रशासन से मस्जिद के संबंध आरटीआई में जानकारी मांगी थी। जो जानकारी प्रशासन ने दी, उसे ही आधार बनाकर यह संगठन मस्जिद को अवैध बता रहा है। जबकि प्रशासन का कहना है कि जो जानकारी आरटीआई में दी गई थी, वह गलत नहीं थी। हालांकि बाद में प्रशासन ने विस्तार से जानकारी देने की बात कही थी।
बीते 14 अगस्त को शहर में एक समुदाय के धार्मिक संगठन से जुड़े व्यक्ति ने जिला प्रशासन से मस्जिद के संबंध में सूचनाधिकार में यह जानकारी मांगी कि मस्जिद के नाम कोई पट्टे, फ्री-होल्ड नजूल की भूमि तो स्वीकृत नहीं है। इस पर प्रशासन की ओर से यह जानकारी दी गई कि बाड़ाहाट नगर क्षेत्रांतर्गत मस्जिद के नाम कोई भूमि नजूल फ्री-होल्ड या पट्टा आवंटन नहीं है।
प्रशासन से मस्जिद वैध है या अवैध…स्पष्ट करने को कहा
बस ये जानकारी मिलने के बाद से ही धार्मिक संगठन ने मस्जिद के खिलाफ विरोध तेज किया हुआ है। जबकि जिला प्रशासन को कहना है मस्जिद के नाम नजूल फ्री-होल्ड या पट्टा आवंटन की भूमि नहीं बल्कि जो भूमि है वह भूमिधरी श्रेणी क की है। इस संबंध में बाद में प्रशासन की ओर से संबंधित आरटीआई आवेदन को उपलब्ध मस्जिद से जुड़े दस्तावेजों को लेकर विस्तार से जानकारी दी गई। लेकिन संगठन ने बाद में मिली जानकारी को मानने से इंकार कर दिया।
इसके साथ ही प्रशासन पर ही गुमराह करने का आरोप लगाया। इधर, धार्मिक संगठन के जितेंद्र सिंह का कहना है प्रशासन ने पहली आरटीआई में यह जानकारी दी थी कि मस्जिद के नाम कोई भूमि नहीं है और यह अवैध है। दूसरी बार केवल जमीन की जानकारी दी गई। उन्होंने प्रशासन से मस्जिद वैध है या अवैध। यह स्पष्ट करने को कहा है।
सूचना बिल्कुल सही दी है। आरटीआई में पूछा गया था कि मस्जिद के नाम कोई फ्री-होल्ड नजुल व पट्टे की जमीन तो नहीं है। ऐसी कोई जमीन मस्जिद के नाम नहीं है। जो जमीन है वह भूमिधरी श्रेणी क की है। -मुकेश चंद रमोला, एसडीएम भटवाड़ी